हाथरस कांड का मामला अब सीबीआई ने टेकओवर कर लिया है.. अब इस मामले की जांच सीबीआई करेगी….योगी सरकार शुरु से ही इस मामले को सीबीआई को सौंपने के पक्ष में थी.. बता दें कि अभी तक इस मामले की जांच एसआईटी कर रही थी, एसआईटी को रिपोर्ट सौंपने के लिए 10 दिन का समय और दिया गया था.. ताकि सच को बाहर लाया जा सके…. हाथरस कांड को लेकर विपक्ष भी प्रदेश सरकार पर हमलावर हो रहा था.. ऐसे में योगी सरकार मामले की निष्पक्ष जांच चाहती थी.. वहीं इस कांड की आड़ में जातीय दंगा भड़काने की कोशिश की जा रही थी, जिसके लिए ‘हाथरस फोर जस्टिस’ नाम की एक वेबसाइट बनाई गई थी, इस साइट के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की कोशिश की जा रही थी ताकि प्रदेश के माहौल को बिगाड़ा जा सके.. मगर समय रहते यूपी पुलिस का खुफिया तंत्र अलर्ट हुआ और इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया.. ये चार आरोपी पीएफआई के सदस्य बताए जा रहे हैं….
आरोपियों ने लिखी थी जेल से चिट्टी
-इस कांड के चार आरोपियों में से मुख्य आरोपी संदीप ने यह बात कबूल की थी कि उसकी पीड़िता से दोस्ती थी.. कभी-कभी उनकी फोन पर बात हो जाती थी, उनकी ये दोस्ती पीड़िता के परिवार को मंजूर नहीं थी..घटना वाले दिन पीड़िता ने संदीप को खेत में बुलाया था.. उस समय पीड़िता का भाई और मां वहां मौजूद थे.. जिसके बाद पीड़िता के कहने पर वह वहां से चला गया था.. जब वह अपने पिता के साथ पशुओं को पानी पिला रहा था.. तब किसी ने यह बताया था कि पीड़िता की उसके मां और भाई ने उसे मारा है…ये सभी बातें संदीप ने अपनी चिट्टी में लिखी थी…उसने यह भी कहा था कि उसने कभी पीड़िता की पिटाई नहीं की और न ही कभी उसके साथ कुछ गलत किया था…उसने एसपी से गुहार लगाई थी कि वह निर्दोश है..
क्या था मामला
हाथरम में 14 सितंबर से एक दलित लड़की से 14 सितंबर को कथित तौर पर गैंगरेप और मारपीट हुई थी, जिसके चलते उसे दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था.. जहां 29 सितंबर को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.. परिजन शव को लेने के लिए अस्पताल के बाहर बैठे रहे थे मगर उन्हें शव नहीं दिया गया था.. आरोप है कि पुलिस ने अपने आप ही पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया गया.. जिसे लेकर मामला बढ़ गया और इस पूरे मामले में राजनीतिक रुप ले लिया.. विपक्ष ने योगी सरकार को घेरना शुरु कर दिया …